Tuesday 22 February 2011

चमगादड़

चमगादड़

चमगादड़ इस पृथ्वी पर अपनी तरह का एक अनोखा प्राणी है । उड़ने के कारण यह पक्षी और स्तनधारी के रूप में यह जानवर है । कुछ लोगों की धारणा है कि यह अंधा होता है, जबकि सच यह है कि चमगादड़ों की कुछ प्रजातियों के पास बहुत अच्छी दृष्टि क्षमता होती है । आम तौर पर यह मनुष्य से डरता है और उसके ऊपर आक्रमण नहीं करना चाहता है । अधिकतर अन्य प्राणियों की तरह मनुष्य के ऊपर उसका कभी-कभार आक्रमण आत्मरक्षा से प्रेरित होता है । अतएव उचित यही है कि यदि हम चमगादड़ों से प्यार नहीं करते तो उससे नफरत भी नहीं करें । हमें ध्यान रखना है कि वन्य प्राणी आखिर जंगली तो होते ही हैं तथा उनमें जंगलीपन भी होता है । उन्हें अपना निष्कंटक परिवेश चाहिए जहां मनुष्य का हस्तक्षेप न हो । चमगादड़ भौगोलिक परिवेश के आधार पर काफी बड़े और बहुत छोटे दोनों होते हैं । भारत में पाए जाने वाले चमगादड़ बहुत बड़े भी नहीं होते हैं , न बहुत छोटे होते हैं । थाइलैंड में सबसे छोटे चमगादड़ पाए जाचे हैं जिन्हें बबलबी बैट कहते हैं । आस्ट्रेलिया और अफ्रीका में बड़े चमगादड़ यानी मेगाबैट्स पाए जाते हैं । सामान्य ऐर छोटे छोटे चमगादड़लगभग पूरी दुनियां में मिलते हैं । जैव विविधता की दृष्टि से चमगादड़ों का बड़ा महत्व है, क्योंकि मच्छरों जैसे कीट-पतंग उसके भोजन होते हैं । सामान्य और भूरे रंग का एक चमगादड़ एक घंटे में 600 मच्छरों का सफाया कर देता है । मान्यता है कि चमगादड़ अपने शारीरिक वजन से आधे वजन तक के सैकड़ों फतिंगों को एक रात में खा सकता है। आस्ट्रेलिया और अफ्रीका के बड़े चमगादड़ फल भी खआते हैं और फूलों से शहद भी चूसते हैं ।
चमगादड़ों की शारीरिक बनावट बड़ी खास होती है । उनके डैने हाथ जैसे बड़े-बड़े होते हैं जिसके ऊपर चमड़ी फैली रहती है । इस कारण उन्हें उड़ने में मदद मिलती है । बड़े चमगादड़ों को फ्लाइंग फाक्स कहते हैं । जिनका वजन दो पाउंड और पंख 6 फीट के होते हैं ।
हैदराबाद के गोलकुंडा में शाम होते-होते चमगादड़ों का कहर शुरू हो जाता है । उनकी आवाज डरावनी होती हैं और खंडहर में उनका बैखौफ उड़ना पर्यटकों को भयभीत कर देता है ।वहां एक प्रकार से उनका सामा्ज्य है । भारत के अलग अलग क्षेत्रों में इनके लिए क्षेत्रीय नाम भी हैं ; जैसे कि भोजपुरी में इन्हें बादुर कहते हैं । तोते , बगुलों, कोयल, गौरैयों आदि सामान्य पक्षियों से अलग चमगादड़ों जैसे आम तौर पर उपेक्षित प्राणी में हमारी थोड़ी रूचि अवश्य होनी चाहिए ।